Popular Posts

मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

মিনিদের চোখ উদাস...

স্বপ্নের ফেরিওয়ালা কে 
খুঁজে পাওয়া যাচ্ছে না...
মিনিদের চোখ উদাস... 
তার বাপি বলেছে- 
রাস্তা ঘাট নিরাপদ নয় 
পাঁচ বছরের মিনিদের চোখ উদাস !
স্বপ্নের ফেরিওয়ালা কে আর
খুঁজে পাওয়া যাচ্ছে না... 
তার পাড়ার দিদি নিখোঁজ ,
তার শহরের দিদিরা আর নেই, 
তার দেশের দিদিরা হাসপাতালে
তাই তার মা
তাকে 'বীরপুরুষ' আর সোনায় না
স্বপ্নের ফেরিওয়ালা কে
খুঁজে পাওয়া যাচ্ছে না...
কাবুলিওয়ালার কাছে আর
স্বপ্ন নেই মিনিদের জন্য...
মিনিদের চোখ উদাস...

©তনয়া

गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

जीवन से किया वादा है


किसी ने डोर छोड़ दी अचानक...
जितनी बची हैं हाथों में रेशे...
वो काफी नहीं हैं...
पुराने मुड़े हुए
किसी पन्ने की तरह
है ये...
खोलो तो फट जाती हैं...

भीतर से बस एक आवाज़ आती है...
सपने से जागने का समय है...
तह करने का समय है...
समेटने का समय है...
सिलवटें तो रहेंगी...

फिर भी
जीवन से किया
वादा है...
निभाना है...

©तनया

मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

उदासी


उदासी कुछ इस तरह...
घर कर जाती है ज़हन में...
जैसे सुबह-सुबह...
आँगन बुहारते समय...
आ गया हो कोई
अनचाहा मेहमान...
ज़िद्दी होती है उदासी...
झटक देती है...
अपमान, अभिमान...

मेरे घर उदासी आई है...

©तनया

तुम हो साथी

तुम हो साथी!
तो सहज है जीवन,
सहज है मुसकुराना।

तुम्हारा होना,
तुम्हारे होने का अहसास,
सहज ही बल देता है जीवन को;
चुनौती देता है
मेरी तकलीफों को।
तुम्हारे होने का अहसास,
अनायास पोंछ देता है 
मेरी आँखों के आँसू । 

तुम होते नहीं हो 
दरअसल,
तुम्हारा होना होता है
फिर भी मेरे ज़हन में। 
पूरी शिद्दत के साथ 
होते हो तुम 
मेरे लिए। 

जीवन को अर्थ 
देते हो तुम,
और मेरा जीना 
होता है तुम्हारे लिए। 

Ⓒ तनया ताशा 

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

सपने


सपने आते हैं
बेझिझक मेरे पास,
तकिये की सिलवटों
में आकर पनाह लेते हैं!
ये भागते हैं मेरे पीछे
कुछ इस तरह...
जैसे काम नहीं चलता
इनका मेरे बिना...
मैं इन्हें छू सकती हूँ
महसूस कर सकती हूँ...
पर जाने क्यों...
पा नहीं सकती...
वैसे ही जैसे
शोपर्स स्टॉप की
कोई महंगी
आकर्षक, अत्याधुनिक
चीज़ हो वह...
जिन्हें देखकर...
चौंधिया जाती हैं
आँखें...

...सपनों को पा लेना
विचित्र होता होगा...
यह कोई दूसरी दुनिया
की बात होगी...
...यह तड़प ज़रूर बड़ी है,
लेकिन... इन्हें
न पा सकना ही जीवन है...

मेरा होना ऐसा ही है,
सपने पीछा करते हैं...
ऐसे जैसे मेरे बिना
उनका काम नहीं चलता..
पर वो मेरी होना नहीं चाहती...
सपने, दोस्त है, साथी है,
हमसफ़र है...
इन्हें पाना मुमकिन नहीं...

मेरा होना ऐसा ही है।

©तनया



शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

क्या दूँ तुम्हें दोस्त

क्या दूँ तुम्हें दोस्त! 

एक खालीपन है भीतर...

तुम्हारी विशालता को पा लेने की चाहत है....

क्या दूँ कि कम न पड़े अपनत्व...

 

तुम्हारा होना ज़रूरी है..

ज़रूरी है मेरा होना भी

ज़रूरी है शून्य का भर जाना...

क्या दूँ तुम्हें कि 

बूंदों से बूँद मिले,

भर जाए मेरा शून्य

और खाली न हो 

तुम्हारा सागर भी...

 

साथी!

स्मृतियों के गह्वर में ही

भले रहे तुम्हारा होना

क्या दूँ तुम्हें कि 

भीतर कहीं तुम रहो ही...

क्या दूँ तुम्हें कि 

साहस कम न पड़े 

यह कहने की

कि ज़रूरी हो तुम

 

मेरे साथी!

क्या दूँ तुम्हें कि

शब्द कम न पड़े कभी 

बातें कभी न खत्म हो

मंजिल अलग, राह इतर

फिर भी एकांत के 

हमसफ़र बने रह सके....

 

क्या दूँ तुम्हें दोस्त!

कि तुम बने रह सको विशाल

और मेरा होना हो सके 

स्वच्छ, निर्मल, निष्पाप....

क्या दूँ तुम्हें दोस्त! 

 

©तनया ताशा