क्या दूँ तुम्हें दोस्त! एक खालीपन है भीतर... तुम्हारी विशालता को पा लेने की चाहत है.... क्या दूँ कि कम न पड़े अपनत्व... त...
मंगलवार, 11 दिसंबर 2012
उदासी
उदासी कुछ इस तरह...
घर कर जाती है ज़हन में...
जैसे सुबह-सुबह...
आँगन बुहारते समय...
आ गया हो कोई
अनचाहा मेहमान...
ज़िद्दी होती है उदासी...
झटक देती है...
अपमान, अभिमान...
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