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रविवार, 21 अक्तूबर 2018

फिर मिलना

फिर मिलना दोस्त,
मुद्दतों बाद मिलना...
नाराज़गी में मिठास घोली है
अबकी बार,
सालों बाद जब मिलना,
ठहाकों की महफिल में
मुस्कान बनकर मिलना।

फिर मिलना दोस्त,
मुद्दतों बाद मिलना...
रंजिशों के हरफ़ रेत पर खिंचे हैं
अबकी बार,
सालों बाद जब मिलना,
धुली-उजली रेत पर
लहरों के किनारे मिलना...

फिर मिलना दोस्त,
मुद्दतों बाद मिलना।

©तनया ताशा