Popular Posts

सोमवार, 31 मई 2021

तुम चले जाओगे

(शुभ्रा चक्रवर्ती मैडम को समर्पित)

तुम चले जाओगे ऐसे 
जैसे एक-न- एक दिन 
जाना ही होता है सबको। 
लेकिन जो निशान छोड़ जाओगे 
उन्हें सहेजेंगे हम,
क्योंकि वह्निशिखा-से जलते 
एक पूरे व्यक्तित्व की 
मौजूदगी का मर्म जानते हैं हम,
समझते हैं उसकी कमी का दर्द,
क्योंकि हमने तुम्हें 
मुश्किलों से गुज़रते देखा है 
उनसे गुज़रना। 
हाँ, रुकोगे नहीं तुम,
न ही रुकेगा वक्त । 
और तुमसे सीखा है 
आज को इतिहास बनाता 
कल आएगा,
और कल को आज बनाएगा 
अगला दिन।  
हाँ, रोज़ की तरह ही रोज़ आएगा।
तुम बरकरार रहोगे मगर 
हम सबमें थोड़ा-थोड़ा। 
कोई बात होगी,
और हम कहेंगे-
तुम होते तो कुछ यूँ  कहते,
कुछ वैसे करते 
और संभव लगती मुश्किलें। 
हाँ, तुम चले जाओगे,
तुम्हारी खाली कुर्सी के गिर्द 
यादें रह जाएगी मगर,
रह जाएगा हमारी बातों में 
तुम्हारा जिक्र,
जैसे पहली बारिश के बाद 
माटी की सौंधी महक रह जाती है। 
तुम चले तो जाओगे,
पर रह जाओगे कहीं-कहीं,
थोड़ा-थोड़ा। 

©तनया