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शनिवार, 12 नवंबर 2011

इतिहास चूक जाएगा ...


तुम जब समाज
बदल रहे होगे मेरे दोस्त,
तब तुम्हारी पत्नी, तुम्हारी बहन
संभाल रही होगी तुम्हारा घर...
जब तुम अगुवाई
कर रहे होगे क्रांति की,
तब तुम्हारी पत्नी, तुम्हारी बहन
ख्याल रख रही होगी
तुम्हारी माँ की झुकती कमर का,
पिता के दमे का...
और जब पूंजीवाद तब्दील हो रहा होगा
समाजवाद में
और लोकतंत्र का बिगुल
बजा दिया गया होगा
फिर एक बार
तब भी तुम्हारी पत्नी, तुम्हारी बहन
जूझ रही होगी
आटे-दाल के भाव से...

तुम फिर एकबार
गलत समझ रहे हो मेरे दोस्त...
अब तुम्हारी पत्नी
अकेलेपन से नहीं घबराती,
नहीं बदलती करवटें-
तुम्हारी बहन भी
अपना साथी चुन चुकी है
तुम्हारे बिना ही...

मुझे चिंता किसी और बात की है-
कि इन सबके बावजूद
उनका होना ज़रूरी नहीं समझा जाएगा,
कि अब भी 
इतिहास में इनका ज़िक्र नहीं होगा,
कि फिर एकबार इन्हें शामिल करने से 
इतिहास  चूक जाएगा। 



©तनया 

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