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गुरुवार, 31 अगस्त 2023

दीप प्रज्ज्वलन

ज्योति की कोई शिखा 
भीतर कहीं जलती रहे। 
प्रज्ज्वलित हो पुण्य सबके 
पाप-पाखंड भस्म हो,
लौ इतनी तीव्र हो कि
राख बन जाए कलुष। 
और इसकी रोशनी में 
कालिमा मिटती रहे।

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