मैं बताऊँगी तुम्हें
कि कितना किया प्रेम
और कैसे जिया जीवन।
पहले हो जाने दो
गलतियों का हिसाब,
चुक जाने दो सारा कोलाहल।
जब जाने-पहचाने अक्षर
शब्द न बना पाएँगे,
जब आँखें देख न पाएँगी दर्द,
जब महसूस न होगी उदासी मुझे
और तुम्हें भी,
मैं बताऊँगी तुम्हें।
पहले तय तो हो
कि हमारे बीच जो था
उसने कितना भिंगोया था हमें,
पहले तय तो हो
कि तपती धूप ने
जब सोख ली सारी नमी
तब कौन सींचना भूल गया पौधा,
मैं या तुम।
मैं बताऊँगी तुम्हें,
मैं बताऊँगी कि
मेरे आज को बुना है
तुम्हारे प्रेम से भरे
मेरे कल ने,
मैं बताऊँगी कि
कैसे प्रेममय है आज भी यह मन
क्योंकि तुम थे जीवन में।
मैं बताऊँगी तुम्हें
कि कितना किया प्रेम
और कैसे जिया जीवन।
जो भी बनकर उभरा है वर्तमान,
उसमें भले नहीं हो तुम
लेकिन अतीत की सिलवटों में
रहेंगे तुम्हारे चिह्न।
व्यर्थ हो गए हैं वादे
और साथ देखे सपने भले ही,
व्यर्थ नहीं था वह अतीत
जिसका हिस्सा थे तुम।
मैं बताऊँगी तुम्हें
कि कितना किया प्रेम
और कैसे जिया जीवन।
झूठ है यह कहना
कि याद आते हो तुम
कि याद आते हो तुम
आज भी।
यह अपमान भी है
उस मुक्ति का,
जो हमारे प्रेम का
दान है हमें।
इसलिए बस इतना
कि आज
जितना भी मंजा है मेरा प्रेम
और जितनी भी मुस्कुराहटें
संजोता है मेरा स्नेह,
सिलवटों में छिपे
तुम होते हो वहीं कहीं....
©तनया ताशा
यह अपमान भी है
उस मुक्ति का,
जो हमारे प्रेम का
दान है हमें।
इसलिए बस इतना
कि आज
जितना भी मंजा है मेरा प्रेम
और जितनी भी मुस्कुराहटें
संजोता है मेरा स्नेह,
सिलवटों में छिपे
तुम होते हो वहीं कहीं....
©तनया ताशा
Bahut khoob Ma'am ✨
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सौम्या ❤️
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