तुम कह देना चाहते हो
सबकुछ कविता में।
जाने तुम्हारे पास
शब्द ज़्यादा हैं
या 'मैं' कम हूँ !
पर सुनो,
मेरा प्रेम नहीं समाता
कविता में,
पूरे नहीं पड़ते शब्द
व्यक्त करने को
ढाई अक्षरों का आवेग।
सबकुछ कविता में।
जाने तुम्हारे पास
शब्द ज़्यादा हैं
या 'मैं' कम हूँ !
पर सुनो,
मेरा प्रेम नहीं समाता
कविता में,
पूरे नहीं पड़ते शब्द
व्यक्त करने को
ढाई अक्षरों का आवेग।
मेरे इस प्रेम में
कुछ है नया-सा,
और पुराना भी;
खाली-सा और
लबालब भरा हुआ भी।
कोई संगीत है,
एक गाथा है,
जो ख़त्म ही नहीं होना चाहती।
कविता नहीं बता पाएगी कि
मेरे कठिन हाथों को
तुम्हारे कठिन हाथों का स्पर्श
कैसा लगता है!
क्या है तुम्हारे आँखों की तरलता
और होठों की मासूमियत
मेरे लिए!
क्या है तुम्हारे साथ का होना,
क्या है जीवन का संगीत।
© तनया ताशा
कुछ है नया-सा,
और पुराना भी;
खाली-सा और
लबालब भरा हुआ भी।
कोई संगीत है,
एक गाथा है,
जो ख़त्म ही नहीं होना चाहती।
कविता नहीं बता पाएगी कि
मेरे कठिन हाथों को
तुम्हारे कठिन हाथों का स्पर्श
कैसा लगता है!
क्या है तुम्हारे आँखों की तरलता
और होठों की मासूमियत
मेरे लिए!
क्या है तुम्हारे साथ का होना,
क्या है जीवन का संगीत।
© तनया ताशा
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