Popular Posts

बुधवार, 15 दिसंबर 2021

तुम मेरे न होना


तुम बेशक मेरे न होना,
पर किसी शहर के ज़रूर हो जाना,
हो जाना किसी चाय की टपरी के,
जहाँ अक्सर परिचय 
दोस्ती में बदल जाया करता है। 

तुम मेरे भले न होना,
पर किसी रोज़ सावन के हो जाना,
हो जाना पहली बारिश की सौंधी महक के,
'छपाक' की आवाज़ के,
जो आत्मा में प्रेम-सा उतर आता है। 

तुम मेरे ज़रा भी न होना,
पर किसी के इंतेज़ार के हो जाना,
हो जाना अपनी कही बातों के,
और पहले वादे के,
जहाँ से कोई मन सपना बुनने लगता है। 

तुम मेरे कभी न होना,
किसी के साथ एक मकान के हो जाना,
हो जाना ईंटों के,
उसकी बुनियाद के,
जो फिर किसी का घर बन जाता है। 

तुम अपनी कलाई पर बंधी 
घड़ी के भी न होना,
लेकिन कभी 
किसी और के 
वक्त के पाबंद होकर 
मुक्ति को जान लेना। 

Ⓒतनया 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें