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मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

तुम दूर से देखो मेरा जीवन


तुम दूर से देखो मेरा जीवन,
कि विश्वास का वह पुल,
ढह चुका है
जो मुझ तक पहुँचता था कभी।  

सालों से मेरे पास जमा पड़े हैं
तमाम लोगों के 
बेशर्म झूठ, 
जिनकी कीमत 
मैंने विश्वास और 
प्रतिबद्धता की क्षमता 
गँवाकर चुकाई है। 

भीतर कहीं पड़ा हो सकता है 
आस्था का कोई अंश,  
हो सकता है कि 
मैं मिल जाऊँ कहीं,
और मेरा सच भी 
पड़ा मिले वहीं। 

सतह पर मगर   
अविश्वास मिलेगा ढेर-सा,
क्योंकि मैंने सालों तक  
तमाम लोगों के 
बेशर्म झूठ जोड़े हैं। 

इसलिए 
तुम दूर से देखो मेरा जीवन। 

© तनया ताशा 





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