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गुरुवार, 18 नवंबर 2021

तोहफ़ा

यूँ तो तुमसे जो भी मिला, 
हर सामान सँभाले रखा है।
हमने-तुमने रोका हुआ 
हर लम्हा थामे रखा है।

चुप्पी, सिसकी, तन्हाई का
बर्दाश्त भी जवाँ रखा हैै,
कहीं भूल न जाए हम माज़ी, 
हर ज़ख्म हरा रखा है।

© तनया ताशा 







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