सुनो, तुम्हारे भीतर जो
प्रेमी बसता है,
उसे कभी न मरने देना।
जीवन झंझावातों से
होकर गुज़रेगा।
उनसे लड़कर,
इच्छाओं की बलि चढ़ाकर
हँस लेते हो,
प्रेमी-मन को कभी-कभी
हँस लेने देना।
© तनया ताशा
प्रेमी बसता है,
उसे कभी न मरने देना।
जीवन झंझावातों से
होकर गुज़रेगा।
उनसे लड़कर,
इच्छाओं की बलि चढ़ाकर
हँस लेते हो,
प्रेमी-मन को कभी-कभी
हँस लेने देना।
© तनया ताशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें