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शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

मुक्ति

बाँधने देखो 
कितने आयें।
मीठे सपने, 
प्यार की बातें, 
कितने सारे
वादे लायें।

लेकिन जो भी
बाँधने आयें,
सबकुछ लाये, 
प्रेम-सना वह 
डोर न लाए, 
जिससे मेरी  
रूह बंध जाये। 

पागल मन तो 
ढूँढ रहा है,
ऐसा कोई 
बाँधने वाला,
जो बंधन को
मुक्ति बनाये।

© तनया ताशा   

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